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________________ किरण १ ] कतिपय प्राचीन पट्टे परवाने दोनों और जो लायक चेले सागर फला के जहाँ कहीं होवें उनकी नशस्ति दरबार में निहायत ताजीम के साथ होगी और शहर में जो इस दरबार के तहत और तसरूफ में है वैसी ही मशतिक ताजीम और ताबेदारी बजा लावें । और ताजीम में कोई कसर न रखें । और यह सरकार भी सतगुरु पूज्य अपना जानते हैं और सामेला हिकमद भेंट बुलन्द दरजा बजा लाते रहेंगे और तमाम जैनी और जैनी महाजनान वगैरा गुरु के हुक्म के ताबेदार रहें और करते रहें और ताजीम इनकी वाजिब जानते रहें । और मुवाफिक परवाना जात इस सरकार ने भी और श्रीमहाराजा अजीतसिंहजी और महाराजा श्री अभयसिंहजी और श्री बड़ा महाराजजीने परवाने और खास रुक्के लिखकर दिये हैं और मरातिब ताजीम का खयाल रखा गया है और छोटा चेला और बड़े चेलेके ताबेदार रहें और उनके हुक्म से बाहिर न जावें । हाथी और जागीर और छतर तोच नुकएई व तुलाई व आफानी के साथ गलखी में बैठकर आयें। और उनके सामने खड़ा होकर खड़े-खड़े ताजीम बजा लाई जावे और सिरे दरबार आसन उनके लिये बिछाया जावे और रोज रोज उनके मरातब की ताजीम वर करार रहे अगर कोई इनकी ताजीम से इनहराफ करे तो अपने दीन से तीन लोक में पूज्य के दीन से मरदूद हो 1 तलाक तलाक तलाक यह तमाम गुरु परम सतगुरु हमारे हैं यह दरजे हमेशा हमेशा जारी और मुकर्रर रहे । इनकी ताजीम से बाहिर जावे वो नालायक नालायक नालायक | जो सीताराम जी २ २९ सिद्ध श्री राजराजेसुर महाराजाधिराज महाराजा श्री अजीतसिंहजी जोग्य लिखतं महाराजाधिराज महाराजा श्री सवाई जैसिंघजी केन जुहार अवधारी जो । श्रटै रा समाचार किरपा श्री... 'जी की स्ौ भला है । राज्य का सदा भला चाहिजे, अपंच राज्य बड़ा छौ अठा उठै की व्योहार में कही बात री जुदायमी न छै श्रटै छोडा राजपूत है सो राज्य का काम में विवेक काम काज होवे सो निखावता रहोला समाचार सगला दराम लिख्या सोठे तो सिवाई सत्वार्ह महाराज की और कोई बात न 1 अब समाचार सारा अदराम अरज करै लौ कागद समाचार लिखावता रहोला मिती सावरण सुदि १४ संवत १७७६ लिखतं जैपुर सूं । इसी पत्र के ऊपर के भाग में महाराजा के स्वहस्त से जैन पति जीके लिये निम्नलिखित विज्ञप्ति लिखी हुई है । जगत गुरु परमसतगुर जैन पातसाह श्रीगुरुदेव महाराजा श्री पूज्यजी श्री १०८ श्री जयशीलजी भट्टारकजी श्रीनैणसिहजी देवश्री चरणो की हजूर में दंडवत प्रणाम १०८ मालूम करोला । जगतगुरु पूज्य गछनायक छतरी वंश के परमसतगुरु | राठौर
SR No.010080
Book TitleBabu Devkumar Smruti Ank
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherJain Siddhant Bhavan Aara
Publication Year1951
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size47 MB
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