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ऐसे उपकारी जीवन को श्रद्धा सहित प्रणाम
ले० कल्याण कुमार जैन 'शशि' रामपुर
दिया राष्ट्र सेवाओं में, श्रजित, बहुचर्चित योग । दिया सतत् साहित्योन्नति में हितकारी सहयोग । श्रोल रखा दृष्टि से, फल की इच्छा का विनियोग | गोरण समझते रहे स्वयम् का, शारीरिक सुख भोग ।
अपने श्रम से दिया निरंतर श्रौरों को विश्राम | ऐसे उपकारी जीवन को श्रद्धा सहित प्रणाम ।
कोटि कोटि विपदानों में भी दिखे नहीं भयभीत । कर्मठता से भरा पुरा, सहकारी रहा प्रतीत । स्वार्थ रहित सक्रिय जीवन से, बनता प्रारण पुनीत । हित चिन्तन के दृष्टि कोण से, जीवन किया व्यतीत ।
करते रहे समस्याओं से, जीवन भर संग्राम | ऐसे उपकारी जीवन को श्रद्धा सहित प्रणाम
हर सुधार आन्दोलन में नित रहा प्रमुखतर हाथ । बढ़ते रहे सदा सक्रिय प्रग, नई प्रगति के साथ । शुमाचरण के पालन में दीखे नित उन्नत माथ । यहां अनेकों भटके जीवन, बनते रहे सनाथ ।
जीवन वह है जोकि प्रकाररण आये सबके काम 1 ऐसे उपकारी जीवन को श्रद्धा सहित प्रणाम ।
बढ़ा प्रयत्नों द्वारा इनके पुरातत्व का मान । पुरातत्व ही संस्कृतियों का उज्ज्वल गौरव-गान । शोध कार्य में किया इस तरह अपना योग प्रदान । जिसके द्वारा बढ़ा रुका पग नूतन अनुसन्धान ।
जीवन वह जो प्रादर्शो पर बढ़े नित्य श्रविराम । ऐसे उपकारी जीवन को श्रद्धा सहित प्रणाम ।
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