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भाचार्य हेमचन्द्र की दृष्टि में भारतीय समाज मागे कहता है कि हाड़ी, डोम, चांडाल और बधती ८. क्षता : जिनकी उत्पत्ति शुद्र पुरुष और निम्नतम कार्य करते हैं।'
क्षत्रिय स्त्री से हुई थी वे “क्षत्ता" कहे गए। हेमचन्द्र २ ने इन जातियों की उत्पत्ति के . चण्डाल : शूद्र पुरुष पोर ब्राह्मण स्त्री से विषय में प्रकाश डाला है, जिनसे यह विदित होता जिनका जन्म हुमा वे "चण्डाल" की श्रेणी में है कि ये जातियां कैसे उत्पन्न हुई।
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१०. मागध : इनका जन्म वैश्य पुरुष पौर १. मूर्धावसिक्त : जो व्यक्ति ब्राह्मण पुरुष क्षत्रिय स्त्री से हुमा था, इस कारण इनका नाम पौर क्षत्रिय स्त्री के संयोग से उत्पन्न हुआ, वह, “मागध" हुमा । "मूर्धावसिक्त"कहा गया।
११. वैदेहक: जो व्यक्ति वैश्य पुरुष और २. अम्बष्ठ: वे थे जो ब्राह्मण पुरुष और बादाय स्त्री से पैदा हए वे "वैदेहक" की श्रेणी वश्य स्त्री से पैदा हुए थे।
में पाए। ३. पराशव निषाद : जो भादमी ब्राह्मण १२. सूत : इस नाम से वे लोग अभिहित पुरुष शूद्र स्त्री के मिलन से उत्पन्न हुमा था, वह हुए जो क्षत्रिय पुरुष पौर ब्राह्मण स्त्री के संयोग से "पराशव निषाद" कहा गया।
उत्पन्न हुए। ४. माहिध्य : वर्ग के लोग वे थे जो क्षत्रिय
१३. रथकारक : जो व्यक्ति माहिष्य पुरुष पुरुष और वैश्य स्त्री से उत्पन्न हुए थे।
(क्षत्रिय पुरुष और वैश्य स्त्री से जो उत्पन्न थे)
और करणी स्त्री (जो स्त्री वैश्य पुरुष और शूद्र ५. उग्र : क्षत्रिय पुरुष और शुद्र स्त्री से जो स्त्री के संयोग से पैदा हुई थी ) से उत्पन्न हुमा हो, उत्पन्न हुए वे "उग्र" कहलाए।
वह रथकारक कहा गया। ६. करण : वे थे जो वैश्य पुरुष और शूद्र इस तरह प्राचार्य हेमचन्द्रका उपयुक्त विवरण स्त्री से पैदा हुए थे।
तत्कालीन समाज को नवीन उपलब्धि है तथा ७. आयोग : जो शूद्र पुरुष पौर वैश्य स्त्री तयुगीन समाज
तदयुगीन समाज के स्वरूप को व्यक्त करने में नई के संयोग से उत्पन्न हुए, वे प्रायोगव कहलाए। दिशा प्रदान करता है ।।
१. तहकीक-मालिल्-हिंद, पृ० ५० । २. क्षत्रियायां द्विजाद् मूर्धावसिक्तो विस्त्रियां पुनः॥
अम्बष्ठोऽथ पारशवनिषादी शूद्रयोषिति । क्षत्राद् माहिष्यो वैश्यायामुग्रस्तु वृषलस्त्रियम् ॥ वैश्यात् तु करणः शूद्रात् त्वायोगवो विशः स्त्रियाम् । क्षत्रियायां पुनः क्षत्रा, चण्डालो ब्राह्मणस्त्रियाम् ।। वैश्यात् तु मागधः क्षत्र यां, वैदेह को द्विस्त्रियाम् । सूतस्तु क्षत्रियाज्जत, इति द्वादश तद्भिदः ।।
माहिष्येण तु जातः स्यात्, करण्यां रथकारकः । प्रभिधानचिन्तामणि, ३.८६५-६६ । ३. मनु के अनुसार भी चांडाल की उत्पत्ति शूद्र पिता और ब्राह्मणी माता से हुई थी
मनु० १०.१२ ।