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________________ श्रेयस्कर है । मेरा भी अभिनन्दन या जो कुछ करना हो मेरी मृत्यु के बाद करना ।" उनकी हादिक भावना पूरी हुई और हमारा अभिनन्दन न लेते हुए वे २६ जनवरी ६६ के दिन हमसे हमेशा के लिए बिछुड़ गए। इस योजना में सहयोग देने वाले सभी धीमानों एवं श्रीमानों के प्रति समिति प्राभार प्रकट करती हुई कामना करती है कि बाबूजी की प्रात्मा समाज की भावी पीढी के पथप्रदर्शन के लिए प्रकाश स्तम्भ का कार्य करती रहे। - सदस्य-सूची कलकत्ता १. साहू शांतिप्रसादजी जैन २. श्री विजयसिंहजी नाहर ३. .. सोहनलालजी दूगड़ ४. , नरेन्द्रसिंहजी सिंधी ५. ,, यशपालजी जैन देहली ६. ,, जुगलकिशोरजी मुख्तार , ७. ,, जुगमंदिरदासजी जैन कलकत्ता ८. ,, प्रेमचन्दजी जैन देहली ६. ,, जैनेन्द्रकुमारजी , १०. ,, पं० चैनमुखदासजी न्यायतीर्थ, जयपुर ११. ., मूलचन्द किसनदास कापड़िया सूरत १२. , धर्मचन्दजी सरावगी फलकत्ता १३. , इन्द्र दूगड़, १४. ,, श्रीचन्दजी रामपुरिया , १५. ,, गोपीचन्दजी चौपड़ा , १६. ,, सत्यभक्तजी, वर्धा १७. ., नवरतनमलजी सुगणा कलकत्ता १८. श्री लाभचन्दजी सुराणा १६. , मिश्रीलालजी २०. , नथमलजी सेठी २१. , मोहनलालजी साह २२. डा० ए० एन उपाध्याय, कोल्हापुर २३. श्रीमती चंदाबाई जी पारा २४. डा० नेमीचंदजी जैन, पारा २५. पं० कैलाशचन्दजी शास्त्री, वाराणसी २६. पं० जगमोहनलालजी कटनी २७. श्री भगवतरायजो जैन देहली २८. , अगरचन्दजी नाहटा बीकानेर २६. ,, नथमलजी टांटिया वैशाली ३०. , बाबूलालजी जैन कलकत्ता ३१. , लक्ष्मीचन्दजी जैन , ३२. , डा. कस्तूरचंदजी कासलीवाल जयपुर ३३. ,, बंशीधर शास्त्री कलकत्ता ३४. ,, गजराजजी गंगवाल कलकत्ता
SR No.010079
Book TitleBabu Chottelal Jain Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorA N Upadhye, Others
PublisherBabu Chottelal Jain Abhinandan Samiti
Publication Year1967
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
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