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कोयले को धोने से उसका रंग नहीं बदला जा सकता, उसे। आग में जलाना पड़ता है। दुष्ट इसी प्रकार सुधारे जा सकते हैं, बातों से नहीं।
आज जो बात कठिन जान पड़ती है, वही किसी दिन सीधी और सहज हो जायगी। ___x xxx भाग और पाप बहुत दिनों तक नहीं छिपते ।
आज का अमनल कल नहीं रहता।
मनुष्य का स्वभाव कुछ ऐसा ही है कि तनिक सा दोष देखते ही, कुछ क्षण पूर्व की सभी बातें भूलते उसे देर नहीं लगती।
-बाबूजी की डायरी से