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इस प्रकार धर्म केवल किसी देवी-देवता की पूजा से या यन्त्र मन्त्र से या तीर्थ स्नान से पूरा नहीं होता बल्कि सच्चा धर्म तो वह है जो आदमी के रहन-सहन चरित्र सभी को हर तरह से सही रास्ते पर लगाए, उस को अच्छा नागरिक बनाए और उस की आत्मा को शान्ति पहुंचाए।
सुख और शान्ति किस में है ? क्या अच्छा भोजन करने में है ? अगर ऐसा है तो किसी आदमी को चौबीस घंटे अच्छा भोजन ही खिलाते रहो तो क्या वह सुखी होगा? थोड़ी देर के बाद ही उस का पेट अफर जाएगा और वह कहेगा कि मेरा खाना बन्द करो यह तो मुझे दु:ख दे रहा है। कैसा भी स्वादिष्ट क्यों न हो अब और मैं नहीं खा सकता। इसी तरह क्या सिनेमा देखने में सुख है ? अगर किसी को चौबीस घण्टे सिनेमा ही दिखाए जाए तो सोचो उसका क्या हाल होगा।
परन्तु क्या तुम ने कभी सुना है कि किसी को ज्यादा ज्ञान प्राप्त हो जाने से बदहजमी हो गई हो ? आदमी जितना ज्ञान बढ़ाता है उस को उतना ही सुख मिलता है और ज्यादा ज्ञानी पुरुष ही दूसरों से बड़ा और अच्छा समझा जाता है।
जिन को साधारण दुनिया में ऐशो आराम की चीज