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| गोम्मटसार जीवकान्ड गाथा ४.८७
दोय आदि सोलह सोलह गुणा तो वन जानना । यर एक यादि चोगुग्गा चौगुणा ऋण जानना | सो धन विषै ऋण घटाएं, जो प्रमाण रहे, तितने लवर समुद्र समान खंड जानने ।
उदाहरण कहिये है - प्रथमस्थान विपं वन दोय, घर ऋण एक, सो दोय में एक घटाए एक रह्या, सो लवण समुद्र विषै एक खड भया । बहुरि दूसरे स्थान के air at सोलह गुणा कीजिए, तब बत्तीस तो धन होइ, ग्रर एक की च्यारि गुणा कीजिए, तब च्यारि ऋरण भया, सो बत्तीस में च्यारि घटाएं, अठाइस रह्या, सो दूसरा कालोदक समुद्र विषै लवण समुद्र समान प्रठाईस खंड है । बहुरि तीसरे स्थानक बत्तीस को सोला गुणा कीएं, पाच से वारा तो धन होइ, र च्यारि की चौगुणा कीएं सोला ऋण होइ, सो पाच से बारा मै स्यों सोला घटाए, च्यारि से चिनवे रह्या; सो इतना ही तीसरा पुष्कर समुद्र विषै लवण समुद्र समान खंड जानने । असें स्वयभूरमण समुद्र पर्यंत जानना । सो अब इहां जलचर रहित समुद्रनि का क्षेत्रफल कहिए है
तहा जो द्वीप समुद्रनि का प्रमाण है, ताकी इहा समुद्रनि ही का ग्रहण है, तातें TET कीजिये, तामै जलचर सहित तीन समुद्र घटाए, जलचर रहित समुद्रनि का प्रमाण हो है, सो इहां गच्छ जानना । सो दोय आदि सोला - सोला गुरणा धन कह्या था, सो धन का जलचर रहित समुद्रनि का धन विप कितना क्षेत्रफल भया ? सो कहिये हैं -
पदमेत्ते गुरणारे, अण्णोष्णं गुरिणयरूवपरिहीणे । रूऊरगुणरहिये, सुहेणगुरिणयम्मि गुरणगरिणय |
इस सूत्र करि गुणकार रूपराशि का जोड हो है । याका अर्थ - गच्छप्रमाण जो गुणकार, ताकौ परस्पर गुणि करि एक घटाइये, बहुरि एक घाटि गुणकार के प्रमाण का भाग दीजिए, बहुरि मुख जो श्रादिस्थान, ताकरि गुणिये, तब गुणकाररूप राशि विषे सर्व जोड होइ ।
सो प्रथम अन्य उदाहरण दिखाइए है - जैसे आदिस्थान विषै दश अर पीछे चौगुणा - चोगुणा बधता असे पंच स्थानकनि विषे जो जो प्रमाण भया, तिस सर्व का जोड दीए कितना भया ?