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________________ तम्याज्ञानचन्द्रिका भावाटीका ] [ ६२५ गुणा क्षेत्र भया, तातै नव गुणा कीया। जैसे करते सतहत्तर हजार सात सै साठि प्रतरागुलनि करि जगच्छे णी कौं गुणे, जो प्रमाण भया, तितना उपविष्ट दड विष क्षेत्र जानना। बहुरि पूर्वाभिमुख स्थित कपाट समुद्घात विर्ष एक जीव के प्रदेश वातवलय विना लोक प्रमाण तो लंबे हो है; सो किचित् ऊन चौदह राजू प्रमाण तौ लबे हो है बहुरि उत्तर दक्षिण दिशा विर्षे लोक की चौडाई प्रमाण चौडे हो है । सो उत्तरदक्षिण दिशा विष लोक सर्वत्र सात राजू चौडा है । तातै सात राजू प्रमाण चौडे हो हैं । बहुरि बारह अंगुल प्रमाण पूर्व पश्चिम विष ऊचे हो है; सो याका क्षेत्रफल भुज कोटि वेध का परस्पर गुणन करि चौईस अंगुल गुणा जगत्प्रतर प्रमाण भया; ताकौं एक समय विष इस समुद्घातवाले जीवनि का प्रमाण चालीस है । तातै चालीस करि गुणिए, तब नव मैं साठि सूच्यंगुलनि करि जगत्प्रतर को गुण, जो प्रमाण होइ, तितना पूर्वाभिमुख स्थित कपाट विर्षे क्षेत्र हो है । बहुरि स्थित कपाट विष बारह अगुल की ऊंचाई कही, उपविष्ट कपाट विर्षे ति गुणा छत्तीस अगुल की ऊंचाई हो है । तातै पूर्वाभिमुख स्थित कपाट के क्षेत्र ते ति गुणा अठाइस से असी सूच्यगुलनि करि जगत्प्रतर को गुण, जो प्रमाण होइ, तितना पूर्वाभिमुख उपविष्ट कपाट विष क्षेत्र जानना। बहुरि उत्तराभिमुख स्थित कपाट विष एक जीव के प्रदेश वातवलय विना लोक प्रमाण लंबे हो हैं; सो किंचित् ऊन चौदह राजू प्रमाण तो लंबे हो है । वहुरि पूर्व पश्चिम दिशा विषे लोक की चौडाई के प्रमाण चौडे हो है । सो लोक अधोलोक के तो नीचे सात राजू चौडा है। पर अनुक्रम ते घटता घटता मध्य लोक विर्ष एक राजू चौडा है । याका क्षेत्रफल निमित्त सूत्र कहिए है - मुहभूमी जोग दले पद गुणिदे पदधणं होदि । मुख कहिए अत, अर भूमि कहिए आदि, इनिका जोग कहिए जोड, तिसका दल कहिये आधा, तिसका पद कहिए गच्छ का प्रमाण तिसको गुणे पदधन कहिये, सर्व गच्छ का जोड्या हुआ प्रमाण; सो हो है। सो इहा मुख तौ एक राजू अर भूमि सात राज जोडिए, तब आठ भये, इतिका आधा च्यारि भया, इसका अधो लोक की ऊंचाई सात राजू, सो गच्छ का प्रमाण सात राजूनि करि गुण, जो अठाईस राजू प्रमाण भया, तितना अधो लोक संवधी प्रतररूप क्षेत्रफल जानना।
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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