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| गोम्मटसार जीवकाण्ड गाया ५२३-५२५ ६०४ ] उत्कृष्ट अश करि मरै, ते सनत्कुमार - माहेन्द्र स्वर्ग का अंत का पटल विष चक्र नामा इद्रक संबंधी श्रेणीबद्ध विमान, तिनि विष उपज हैं।
अवरंसमुदा सोहम्मीसाणादिमउडम्मि सेढिम्मि । मझिमनसेण मुदा, विमलविमाणादिबलभद्दे ॥५२३॥
अवरांशमृताः सौधर्मशानादिमतौ श्रेण्याम् ।
मध्यमांशेन मृता, विमलविमानादिबलभद्रे ॥५२३॥ टीका - तेजो लेश्या का जघन्य अंश करि मरे, ते जीव सौधर्म ईशान का पहिला रितु (जु) नामा इद्रक वा श्रेणीबद्ध विमान, तिनिविष उपजै है । बहुरि तेजो लेश्या का मध्यम. अंश करि मरे, ते जीव सौधर्म - ईशान का दूसरा पटल का विमल नामा मंद्रक तै लगाइ सनत्कुमार - माहेन्द्र का द्विचरम पटल का बलभद्र नामा इंद्रक पर्यंत विमान विष उपजें हैं.।
किण्हवरंसेण मुदा, अवधिट्ठाणम्मि अवरअंसमुदा। पंचमचरिमतिमिस्से, मज्झे मज्झेण जायन्ते ॥५२४॥
कृष्णवरांशेन मृता, अवधिस्थाने प्रवरांशमृताः ।
पञ्चमचरमतिमिने, मध्ये मध्येन जायन्ते ॥५२४॥ टीका - कृष्ण लेश्या का उत्कृष्ट अश करि मरे, ते जीव सातवी नरक पृथ्वी का एक ही पटल है, ताका अवधि स्थानक नामा इद्रक बिल विष उपजे है । बहुरि कृष्ण लेश्या का जघन्य अंश करि मरै, ते जीव पंचम पृथ्वी का अत पटल का तिमिस्र नामा इ द्रक विष उपज है । बहुरि कृष्ण लेश्या का मध्यम अंश करि मरै, ते जीव अवधिस्थान इ द्रक का च्यारि श्रेणीबद्ध बिल तिनि विष वा छठा पृथ्वी का तीनौ पटलनि विष वा पांचवी. पृथ्वी का. चरम. पटल विषै यथायोग्य उपजै है ।
नीलुक्कस्संसमुदा, पंचमधिदयसि प्रवरमुदा। वालुकसंपज्जलिदे, मझे मज्झेरण जायते ॥२५॥
नोलोकृष्टांशमृताः, पञ्चमांधेन्द्रके अवरमृताः । वालुकासंप्रज्वलिते, मध्ये मध्येन जायन्ते ॥५२५॥