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[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाया ५१८
बहुरि जिस समय विषै पहिले ही, जिसका बध होइ, तहा तिसका प्रारंभ कहिए । बहुरि समय समय प्रति तिस प्रकृति का बंध हूवा करें, तहां वंध होइ निवरै, तहां निष्ठापक कहिए ।
बहुरि देव नारकीनि के छह महीना आयु का अवशेष रहै, तव आयु के बंध करने की योग्य होइ, पहिलै न होइ । तहा छह महीना ही विषै त्रिभाग विभाग करि आठ अपकर्ष हो है, तिन विषे आयु के बंध करने योग्य हो है ।
बहुरि एक समय अधिक कोटि पूर्व वर्ष तै लगाइ तीन पल्य पर्यंत असख्यात वर्षमात्र आयु के धारी भोगभूमियां तिर्यच वा मनुष्य, ते भी निरुपक्रमायुष्क है । इन
आयु का नव मास अवशेष रहें आठ अपकर्षनि करि पर भव के आयु का वंध होने का योग्यपना हो है । बहुरि इतना जानना - जिस गति संबंधी आयु का बंध प्रथम अपकर्ष विषै होइ पीछें जो दुतियादि अपकर्षनि विषै आयु का बंध होइ, तो तिस ही गति संबंधी आयु का बंध होइ । बहुरि जो प्रथम अपकर्ष विषै श्रायु का बंध न होइ, तौ अर दूसरे अपकर्ष विषे जिस किसी आयु का बंध होइ तो तृतीयादि अपकर्षनि विष आयु का जो बंध होइ, तौ तिस ही गति सम्बन्धी आयु का बन्ध होइ, असेही मैं जानना । से कई एक जीवनि के तौ आयु का बंध एक अपकर्ष ही विषै होइ, केई जीवन के दोय श्रपकर्षनि करि होइ, केई जीवनि के तीन वा च्यारि वा पांच वा छह वा सातवा आठ अपकर्षनि करि हो है ।
तहां आठ अपकर्षनि करि परभव की आयु के बन्ध करनहारे जीव स्तोक है । तिनतं सख्यात गुणे सात अपकर्षनि करि बन्ध करने वाले है । तिनत संख्यात गुणे छह अपकर्षनि करि बन्ध करने वाले है । असे सख्यात गुणे संख्यात गुणे पांच, च्यारि, तीन, दोय, एक अपकर्षनि करि बंध करने वाले जीव जानने ।
बहुरि आठ अपकर्षनि करि आयु कौ बाधता जीव, तिसके आठवां अपकर्ष विष आयु बधने का जघन्य काल स्तोक है । तिसते विशेष अधिक ताका उत्कृष्ट का है । बहुरि आठ अपकर्षनि करि श्रायु को बांधता जीव के सातवां अपकर्ष विषै जघन्य काल तिसत संख्यात गुणा है, उत्कृष्ट तिसतै विशेष अधिक है । बहुरि सात अपकर्षनि करि प्रायु को बांधता जीव के सातवां अपकर्ष विषै आयु बंधने का जघन्य काल तिसत सख्यात गुणा है, उत्कृष्ट तिसतै विशेष अधिक | बहुरि आठ अपकर्षनि करि ग्रायु बांधता जीव के छठा अपकर्ष विषे आयु बंधने का जघन्य काल तिसतें