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[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ४८१
टीका -- पल्य के असंख्यात भाग करिए, तामै एक भाग प्रमाण संयमासंयम का धारक जीव द्रव्यनि का प्रमाण है । बहुरि ए कहे जे छहौ संयम के धारक जीव, तिनका संसारी जीवनि का प्रमाण में स्यो घटाए, जो अवशेष प्रमाण रहै; सोई असंयमी जीवनि का प्रमाण जानना । ·
इति श्री आचार्य नेमिचद्र विरचित गोम्मटसार द्वितीयनाम पंचसंग्रह ग्रंथ की जीवतत्वप्रदी - पिका नाम सस्कृत टीका के अनुसारि सम्यग्ज्ञान चद्रिका नामा भाषाटीका विषै जीवकाण्ड विपै प्ररूपित बीस प्ररूपणा तिनिविषे सयममार्गरणा प्ररूपणा है नाम जाका सा तेरह्वां अधिकार सपूर्ण भया ॥ १३ ॥