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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[ ५७६ ___टीका - तीखा, कडवा, कसायला, खाटा, मीठा ए पांच रस । बहुरि सुफेद, पीला, हरया, लाल, काला ए पांच वर्ण । बहुरि सुगंध, दुर्गध, ए दोय गव । बहुरि कोमल, कठोर, भारचा, हलका, सीला (ठंडा), ताता, रूखा, चिकना ए आठ स्पर्श । बहुरि षडज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद ए सात स्वर असे इंद्रियनि के सत्ताईस विषय पर अनेक विकल्परूप एक मन का विषय, असे विषय के भेद अट्ठाईस जानने।
आग संयम मार्गणा विष जीवनि की संख्या कहै हैपमदादि-चउण्हं जुदी, सामयिय-दुर्ग कमेण सेस-तियं । सत्त-सहस्सा णव-सय, णव-लक्खा तोहि परिहीणा ॥४८०॥
प्रमत्तादिचतुर्णां युतिः, सामायिकद्विकं क्रमेण शेषत्रिकम् ।
सप्तसहस्राणि नवशतानि, नवलक्षारिण त्रिभिः परिहीनानि ।।४८०॥ टीका -प्रमत्तादि च्यारि गुणस्थानवी जीवनि का जोड दीए, जो प्रमाण होइ; तितना जीव सामायिक अर छेदोपस्थापना संयम के धारक जानने । तहां प्रमत्तवाले पांच कोडि, तिराणवै लाख अठ्यारणवै हजार दोय से छह (५६३९८२०६), अप्रमत्तवाले दोय कोडि छिन लाख निन्याणवै हजार एक सै तीन (२६६६६१०३) अपूर्व करण वाले उपशमी दोय सै निन्याणवै (२६९), पांच सौ अठ्याण क्षायिकी, अनिवृत्ति करणवाले उपशमी २६६, क्षायिकी पांच सो अठयारणव (५९८) इनि सबनिका जोड दीएं, आठ कोडि निव्वे लाख निन्यारणवै हजार एक से तीन भया (८९०६६१०३) सो इतने जीव सामायिक सयमी जानने । पर इतने ही जीव छेदीपस्थापना सयमी जानने । बहुरि अवशेष तीन सयमी रहे, तहा परिहार विगुद्धि सबमी तीन घाटि सात हजार (६६६७) जानने। सूक्ष्म सापराय सयमी तीन घाटि नगने (८६७) जानने । यथाख्यात सयमी तीन घाटि नव लाख (६६६६७) जानने ।
पल्लासंखेज्जदिम, विरदाविरदाण दवपरिमाणं । पुत्वुत्तरासिहीणा, संसारी अविरदाण पमा ॥४८१॥
पल्यासंख्येयं, विरताविरतानां द्रव्यपरिमाणम् । पूर्वोक्तराशिहीनाः, संसारिणः अविरतानां प्रमा ॥४१॥