________________
४८६ ]
[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ३४४
__टीका - तिहि प्राभृतक के ऊपर पूर्वोक्त अनुक्रम ते एक एक अक्षर की वृद्धि ने लीए, पदादिक की वृद्धि करि संयुक्त बीस प्राभृतक की वृद्धि होते सतै, वाम एक अक्षर घटाइये, तहा पर्यंत प्राभूतक समास के भेद जानने । वहरि ताका अंत भेद विष वह एक अक्षर मिलायें, वस्तु नामा अधिकार हो है।
___ भावार्थ - पूर्व संबंधी एक एक वस्तु नामा अधिकार विष बीस बीस प्राभृतक पाइये है। बहुरि सर्वत्र अक्षर समास का प्रथम भेद तै लगाइ पूर्वसमास का उत्कृष्ट भेद पर्यत अनुक्रम ते एक एक अक्षर बढावना । बहुरि पद का बढावना, बहुरि समास का बढावना इत्यादिक परिपाटी करि यथासभव वृद्धि सबनि विर्ष जानना, सो सूत्र के अनुसारि व्याख्यान टीका विषे करते ही आये है।
प्रागै तीन गाथानि करि पूर्व नामा श्रुतज्ञान को कहै है - दसचोदसठ्ठ अटवारसयं बारं च बार सोलं च । वीसं तीसं पण्णारसं च, दस चदुसु वत्थूरणं ॥३४४॥
दश चतुर्दशाष्ट अष्टादशकं द्वादश च द्वादश षोडश च । विशतिः त्रिंशत् पंचदश च, दश चतुर्पु वस्तूनाम् ॥३४४॥
टीका - तिहि वस्तु श्रुत के ऊपरि एक एक अक्षर की वृद्धि लीए, अनुक्रम तै पदादिक की वृद्धि करि सयुक्त क्रम तै दश आदि वस्तुनि की वृद्धि होत सतै, उनमैं सौ एक एक अक्षर घटावन पर्यत वस्तु समास के भेद जानने । बहुरि तिनके अत भेदनि विर्षे अनुक्रम ते एक एक अक्षर मिलाएं, चौदह पूर्व नामा श्रुतज्ञान होइ । तहा आगे कहिए है।
उत्पाद नामा पूर्व आदि चौदह पूर्व, तिनिविषै अनुक्रम तै दश (१०), चौदह (१४), पाठ (८), अठारह (१८), बारह (१२), बारह (१२), सोलह (१६), वीस (२०), तीस (३०), पद्रह (१५), दश (१०), दश (१०), दश (१०), दश (१०) वस्तु नामा अधिकार पाइए है।
१ - पटवडागम-धवला पुस्तक ६, पृष्ठ २५ की टोका ।