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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका 1
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प्रमाण है । बहुरि तिनिते असंख्यात गुणे घाटि, तहा ही कृष्णनील लेश्या के पूर्वोक्त सर्व स्थान ते नरकायु बन्ध को कारण असंख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनितै असंख्यात गुणे घाटि तहा ही कृष्णादि तीनि लेश्या के स्थाननि विषे नरकायु बन्ध्र को कारण स्थान, ते तिन कृष्णादि तीन लेश्या स्थाननि के प्रमाण कौ योग्य असंख्यात लोक का भाग दीए बहुभाग मात्र असख्यात लोकप्रमाण है । बहुरि तिनतें असख्यात गुणे घाटि तहां ही कृष्णादि तीन लेश्या के स्थाननि विषे नरक, तिर्यंच आयु के बन्ध कौ कारण स्थान, ते तिस अवशेष एक भाग को योग्य असख्यात लोक का भाग दीए, बहुभाग मात्र असंख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनितै असख्यात गुणे घाटि, तहा कृष्णादि तीन लेश्या के स्थाननि विषे नरक, तिर्यच, मनुष्य श्रायुबन्ध के कारण स्थान, ते अवशेष एक भाग मात्र असख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनितै प्रसंख्यातगुणे घाटि, तहां ही पूर्वोक्त कृष्णादि च्यारि लेश्या के स्थान, सर्व ही च्यार्यों प्रयुबन्ध के कारण, ते असख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनि असंख्यातगुणे घाटि, तहां ही पूर्वोक्त कृष्णादि पच लेश्या के स्थान, सर्व ही च्यार्यों आयुबन्ध के कारण, ते असंख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनिते असंख्यात गुणे घाटि, तहा ही पूर्वोक्त कृष्णादि छहौ लेश्या के स्थान सर्व ही च्यार्यो प्रायुबन्ध के कारण, ते असंख्यात लोक प्रमाण है । पूर्व स्थान विषै गुणकार बहुभाग था, इहा एक भाग रह्या, ताते असख्यात गुणा घाटि का है । बहुरि तिनते असख्यात गुणे घाटि, धूलि रेखा समान शक्ति विषे प्राप्त षट्लेश्या स्थाननि विषै च्यार्यो आयुबन्ध के कारण स्थान, ते तिन अजघन्य शक्ति विषै प्राप्त षट्लेश्या स्थाननि के प्रमाण को असंख्यात लोक का भाग दीए, बहुभाग मात्र असंख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनिते असख्यात गुणे घाटि, तहा ही षट्लेश्या के स्थाननि विषै नरक बिना तीन प्रायुबन्ध के कारण स्थान, ते तिस अवशेष एकभाग कौ प्रसख्यात का भाग दीए, बहुभागमात्र असंख्यात लोक प्रमाण है । बहुरि तिनिते असंख्यात गुणे घाटि, तहा ही षट्लेश्या के स्थान विषे मनुष्य देवायु बन्ध के कारण स्थान, ते तिस अवशेष एकभाग मात्र असंख्यात लोक प्रमाण है । इहा पूर्वे बहुभाग थे, इहा एक भाग है । ताते असख्यात गुणा घाटि कह्या । बहुरि तिनि सख्यात गुणे घाटि, तहा ही पूर्वोक्त कृष्ण विना पच लेग्या के स्थान सर्व ही देवायु के बन्ध के कारण है । ते असंख्यात लोक प्रमाण जानने । बहुरि तिनितै असख्यात गुणे घाटि, तहा ही पूर्वोक्त कृष्ण, नील रहित च्यारि लेखा के