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| गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा २६५ ४२८ ] है । ते धूलि रेखा समान शक्तिस्थान सबंधी सर्व स्थाननि के प्रमाण की योग्य असंख्यात लोक का भाग दीएं, एकभाग बिना बहुभाग मात्र है । बहुरि तिनितं असंख्यात गुणे घाटि, तहां ही कृष्ण रहित पंच लेश्या के स्थान असख्यात लोक प्रमाण है। ते तिस अवशेष एक भाग को योग्य असंख्यात लोक का भाग दीए बहुभाग मात्र है । बहुरि तिनितै असंख्यात गुणे घाटि तहा ही कृष्ण नील रहित च्यारि लेश्या के स्थान असख्यात लोक प्रमाण है । ते तिस अवशेप एकभाग की योग्य असख्यातलोक का भाग दीएं बहुभाग मात्र है । बहुरि तिनितै असख्यात गुणे घाटि, तहा ही तीन शुभ लेश्या के स्थान असख्यात लोक मात्र है। ते अवशेप एक भाग की योग्य असख्यात लोक का भाग दीए बहुभाग मात्र है। बहरि तिनिते असंख्यात गुणे घाटि, पीत रहित दोय शुभ लेश्या के स्थान असख्यात लोक प्रमाण है । ते तिस एक भाग को योग्य असख्यात लोक का भाग दीए, बहुभाग मात्र है । वहुरि तिनतै असख्यात गुणे घाटि तहा ही केवल शुक्ल लेश्या के स्थान असख्यात लोक प्रमाण है। ते तिस अवशेष एकभाग मात्र जानने । इहा बहुभाग रूप असंख्यात लोक मात्र गुणकार घट्या; तातै असंख्यात गुणा घाटि कह्या है । वहुरि तिनित असख्यात गुणे घाटि जल रेखा समान शक्ति विष प्राप्त सर्व शुक्ल लेश्या के स्थान असख्यात लोक प्रमाण है । ते जल रेखा शक्ति विष प्राप्त स्थाननि का प्रमाणमात्र है । इहा धूलि रेखा समान शक्ति के सर्व स्थाननि विर्ष जे केवल शुक्ल लेश्या के स्थान कहे, तहा भागहार अधिक है । परन्तु गुणकारभूत असख्यात लोक का तहां बहुभाग है। इहा एक भाग है । ताते असंख्यात गुणा घाटि कहा है। अब आयु के बध-प्रबन्ध के बीस स्थान, तिनि विष उदय स्थाननि का प्रमाण कहिए है -
प्रथम शिला भेद समान उत्कृष्ट शक्ति विष प्राप्त कृष्ण लेश्या के स्थान, तिनि विष कृष्ण लेश्या का उत्कृष्ट स्थान तै लगाइ, असख्यात लोक प्रमाण आयु के प्रबन्ध स्थान है । ते उत्कृष्ट शक्ति विष प्राप्त सर्व स्थाननि का प्रमाण की असंख्यात लोक का भाग दीएं, बहुभाग मात्र है। बहुरि तिनितें असंख्यात गुणे घाटि, तहां ही नरकायु बन्धने को कारण असंख्यात लोक प्रमाण स्थान है । ते तिस अवशेष एक भाग मात्र है । पूर्व बहुभाग इहा एक भाग तातै असंख्यातगुणा घाटि कह्या है । बहुरि तिनितं असंख्यात गुणे घाटि पृथ्वी भेद समान अनुत्कृष्ट शक्ति विष प्राप्त कृष्ण लेश्या के पूर्वोक्त सर्व स्थान, ते नरकायु बन्ध को कारण असख्यात लोक