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सम्यग्ज्ञानन्त्रिका भाषाटीका
बहुरि इस पंचम राशि ते षष्ठराशि पल्य का असख्यातवां भाग गुणा जानना।
बहुरि यात असैनी पंचेंद्री गर्भज नपुंसक वेदी स्यों लगाइ, ज्योतिषी पर्यंत सप्तम, अष्टम, नवम, दशम, एकादशम राशि अनुक्रम ते संख्यात गुणा जानना । असे वेद मार्गणा विर्ष जीवनि की संख्या कही।। इति आचार्य श्रीनेमिचद्र सिद्धातचक्रवर्ती विरचित गोम्मटसार द्वितीय नाम पचसग्रह ग्रथ
की जीवतत्त्वप्रदीपिका नाम सस्कृत टीका के अनुसारि सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका नामा भाषा टीका के विष जीवकांड विष प्ररूपित जे वीसप्ररूपणा तिनि विष वेदमार्गणा प्ररूपणा नामा दशमा
अधिकार समाप्त भया।