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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[ ३३३ इहां प्रश्न - जो एक स्कंध विर्ष असख्यात लोक प्रमाण अडर कैसे सभवै ?
ताका समाधान – यहु अवगाहन की समर्थता है । जैसे जगत श्रेणी का घन प्रमाण लोक के प्रदेशनि विषै अनंतानत पुद्गल परमाणू पाइए । जैसै जहां एक निगोद जीव का कारण स्कंध है, तहा ही अनंतानंत जीवनि के कार्माण शरीर पाइये है । तैसे ही एक-एक स्कंध विष असंख्यात लोक प्रमाण अडर है । जे प्रतिष्ठित प्रत्येक शरीर के अवयवरूप विशेष है । जैसे मनुष्य शरीर विष हस्तादिक हो है, तैसै स्कंध विषै अन्डर जानने । बहुरि एक-एक अन्डर विषै असख्यात लोक प्रमाण आवास पाइए है । ते आवास भी प्रतिष्ठित प्रत्येक के शरीर के अवयव रूप विशेष ही जानने । जैसे हस्त विर्षे अगुरी आदि हो है । बहुरि एक-एक आवास विष असख्यात लोक प्रमाण पुलवी है। ते पुणि प्रतिष्ठित प्रत्येक शरीर के अवयव रूप विशेष ही जानने । जैसे एक अंगली विर्षे रेखा आदि हो है । बहरि एक-एक पूलवी विर्षे असंख्यात लोक प्रमाण बादर निगोद के शरीर जानने। जैसे ए अंडरादिक अधस्तन योनि कहे । इनि विर्ष अधस्तन जो पीछे कह्या भेद, ताकी सख्या की उत्पत्ति को कारण ऊपरि का भेद जानना । जैसें तहा एक स्कंध विषे असख्यात लोक प्रमाण अन्डर है, तो असंख्यात लोक प्रमाण स्कंधन विष केते अडर है ? असे त्रैराशिक करि लब्धराशि असख्यात लोक गुणे असख्यात लोक प्रमाण अडर जानने । बहुरि असे ही आवासादि विष त्रैराशिक कीए तिनते असख्यात लोक गुणे प्रावास जानने । बहुरि तिनते असख्यात लोक गुणे पुलवी जानने । बहुरि तिनतै असख्यात लोक गुणे बादर निगोद शरीर जानने । ते सर्व निगोद शरीर पाच जायगा असंख्यात लोक माडि, परस्पर गुणे, जेता प्रमाण होइ तितने जानने ।
जंबूदीवं भरहो, कोसलसागेदतग्घराइं वा । खधंडरावासा, पुलविसरीराणि दिळंता ॥१६॥ जंबूद्वीपो भरतः कोशल साकेततद्गृहाणि वा। स्कंधांडरावासाः, पुलविशरीराणि दृष्टांताः ॥१९॥
टीका - स्कधनि का दृष्टांत जंबूद्वीपादिक जानने । जैसे मध्य लोक विर्षे जंबूद्वीपादिक द्वीप है, तैसे लोक विषै स्कध है। बहुरि अंडरनि का दृष्टांत भरतादि क्षेत्र जानने । जैसे एक जबूद्वीप विष भरतक्षेत्र आदि क्षेत्र पाइए; तैसै स्कंध विर्षे