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गोम्मटमार जीवकाण्ड गाण १९८-१७४
आगे त्रस जीवनि की सख्या तीन गाथानि करि कहै हैबितिचम्पारणमसंखेगवहिदपरंगुलेग हिदपदरं । होणक पडिभागो, आवलियासंखभागो दु ॥१७॥ द्वित्रिचतुः पंचमानमसंख्येनावहितप्रतरांगुलेनहितप्रतरम् । होनक्रमं प्रतिभाग, श्रावलिकासंख्यभागस्तु ॥१७८॥
टोका - द्वीद्रिय, त्रीद्रिय, चतुरिद्रिय, पंचेद्रिय - इनि सर्व त्रसनि का मिलाया हुवा प्रमाण, प्रतरांगुल को असंख्यात का भाग दीजिए, जो प्रमाण आवै, तादा भांग जगत्प्रतर को दीएं यो करते जितना होइ, तितना जानना । इहां द्वीद्रिय राशि का प्रमाण सर्वते अधिक है। वहरि ताते त्रीद्रिय विशेप घाटि है । ताते चौइद्रिय विशेप घाटि है । तातै पंचेद्रिय विणेप घाटि है, सो घाटि कितने-कितने है - असा विशेष का प्रमाण जानने के निमित्त भागहार अर भागहार का भागहार पावली का असख्यातवां भाग मात्र जानना।
सो भागहार का अनुक्रम कैसे है ? सो कहिये है
बहुभागे समभागो, चउण्णमेदोलिभेक्कभागसि । उत्तकमो तत्थ वि बहुभागो बहुगस्स हेओ दु ॥१७॥
वहभागे समभागश्चतुरामेतेषामेकभागे ।
उत्तमस्तत्रापि बहुभागो बहुरुश्य देयत्तु ॥१७९॥ टोका - त्रस जीवनि का जो परिमाण कह्या, तीहिन भावली का असख्यातवां भाग का भाग दीजिये । तामै एक भाग तो जुदा राखिये अर जे अवणेप बहु भाग रहे, तिनिके च्यारि वट (वटवारा) कीजिये, सो एक-एक वट द्वीद्रिय, त्रीद्रिय, चतुनिद्रिय, पत्रंद्रियनि की वगेवरि दीजिये। वहुरि जो एक भाग जुदा राख्या था, नाको प्रावली का अमन्यातवां नाग की भाग दीजिये । ताने एक भाग ता जुदा राग्विार पर अवशेप बहुभाग द्वीद्रियनि को दीजिये । जातै सर्व विपं बहुत प्रमाण द्रीदिय काई । बहुरि जो एक भाग जुढा राख्या था, ताकी बहुरि पावली का असंख्यानवा भाग का भाग दीजिए । नाम एक भाग तो जुदा राखिये, वहुरि अवशेप भाग नद्रियनि को दीजिए । बहुरि जो एक भाग जुदा राख्या था, ताकी वहुरि पावली