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[ गोम्मटमार जोयकाण्ड गाथा १८५.
अंतर एक समय है । अर उत्कृष्ट अंतर असंयत का सात दिन राति देश संयत का चौदह दिन-राति, प्रमत्त ग्रप्रमत्त का पद्रह दिन राति अंतर है ।
बहुरि संजी मार्गणा विषे दोय भेदनि विषै वा दोऊ व्यपदेशरहितनि वि अपने-अपने गुणस्थाननि का सामान्यवत् अंतर है ।
बहुरि ग्राहार मार्गणा विपे दोऊ भेदनि विषै अपने-अपने गुणस्थाननि का सामान्यवत् अंतर है । विशेष इतना - अनाहारक विषे असंयत का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट पृथक्त्व मास ।
सयोगी का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट पृथक्त्व वर्षमात्र अंतर है ।
अव एक जीव अपेक्षा अतर कहिए है,
सो सामान्य विशेष करि दोय प्रकार । तहाँ सामान्य करि मिथ्यादृष्टि का अतर जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन दूरगां छयासठ सागर । बहुरि सामान का जघन्य पल्य का असंख्यातवे भाग, उत्कृष्ट देशोन अर्धं पुद्गल परिवर्तन । बहुरि मिश्र, असंयत, देशसंयत, प्रमत्त, श्रप्रमत्त, च्यारि उपशमक, इनिका जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन अर्व पुद्गल परिवर्तन । बहुरि च्यारि क्षपक, सयोगी, प्रयोगी इनिका अंतर नाही है ।
बहुरि विशेष करि गति मार्गणा विषै नारक विषै मिथ्यादृष्टि आदि असंयत पर्वतनि का जघन्य अंतर सामान्यवत् । उत्कृष्ट अंतर सात पृथ्वीनि विषै क्रम तें एक, तीन, नात, श, सतरह, वाईस, तेतीस देशोन सागर जानना ।
बहुरि तिर्यञ्चनि विपं मिथ्यादृष्ट्यादि देशसंयत पर्यंत नि का सामान्यवत् अंतर है । विशेष इतना - मिध्यादृष्टि का उत्कृष्ट अंतर देशोन तीन पल्य है ।
बहुरि मनुष्य गति विषै मिथ्यादृष्ट्यादि च्यारि उपशमक पर्यत जघन्य अंतर नामान्यत्रत् । उत्कृष्ट अंतर मिथ्यादृष्टि का तियंचवत् । सासादन, मिश्र, ग्रसंयत का कोड पूर्व कि तीन पल्य, देशसंयत, प्रमत्त, अप्रमत्त । च्यारि उपशमक का पृथक्त्व कोडि पूर्व प्रमाण है । ग्रर क्षपक, सयोगी, प्रयोगीनि का सामान्यवत् है ।
वरि देव विषै मिय्यादृष्ट्यादि असंयत पर्यंतनि का जघन्य अंतर सामान्य - वत् । उत्कृष्ट अंतर देशोन इकतीस सागर है ।