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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
[ २८९ ___ बहुरि सम्यक्त्व मार्गणा विर्षे छह भेदनि विषै अपने-अपने गुणस्थाननि का सामान्यवत् काल है । विशेष इतना- औपशमिक सम्यक्त्व विषे असंयत, देशसंयत का जघन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट पल्य का असंख्यातवां भाग अर प्रमत्त, अप्रमत्त का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त काल है ।
बहुरि संज्ञी मार्गणा विषै दोऊ भेदनि विर्ष अपने-अपने गुणस्थाननि का सामान्यवत् काल है।
बहुरि आहार मार्गणा विर्ष आहारक 'विर्षे मिथ्यादृष्टयादि सयोगी पर्यन्तनि का सामान्यवत् काल है। अनाहारक विषै मिथ्यादृष्टि का सर्वकाल, सासादन असंयत का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट प्रावली का असंख्यातवां भाग, सयोगी का जघन्य तीन समय, उत्कृष्ट संख्यात समय, अयोगी का सामान्यवत् काल है ।
अब एक जीव अपेक्षा काल कहिए है, तहां प्रथम सामान्य करि मिथ्यादष्टि का काल विर्षे तीन भंग - अनादि अनंत, अनादि सांत, सादि सांत । तहां सादि सांत काल जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन अर्धपुद्गल परिवर्तन मात्र है किंचित हीन का नाम देशोन जानना । बहुरि सासादन का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट छह प्रावली; मिश्र का जघन्य वा उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त; बहुरि असंयत का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट साधिक तेतीस सागर, संयतासंयत का जघन्य अन्तर्मुहर्त, उत्कृष्ट देशोन कोडि पूर्व प्रमत्त-अप्रमत्त का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अतर्मुहूर्त; च्यारौ उपशम श्रेणीवालों का जघन्य एक समय, उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त; च्यारौ क्षपक श्रेणीवाले वा अयोगिनि का जघन्य वा उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त, सयोगी का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन कोडि पूर्व काल है।
अब विशेष करि कहिए है - गति मार्गणा विष सातौ पृथ्वीनि के नारकीनि विषै मिथ्यादृष्टि का काल जघन्य अंतर्महर्त, उत्कृष्ट क्रम तै एक, तीन, सात, दश, सतरह, बाईस, तेतीस सागर । सासादन मिश्र का सामान्यवत्, असयत का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट देशोन; मिथ्यादृष्टि का उत्कृष्ट कालप्रमाण काल है।
तिर्यचगति विषै – मिथ्यादृष्टि का जघन्य अंतर्मुहूर्त, उत्कृष्ट असंख्यात पुद्गल परिवर्तन मात्र अनंत काल है । सासादन, मिश्र, संयतासंयत का सामान्यवत्, तहां असंयत का जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट तीन पल्य काल है ।