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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
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भावार्थ - यंत्र विषै इंद्रियपक्ति का पांचवां कोठा, कषायपंक्ति का तीसरा कोठा, विकथापक्ति का दूसरा कोठा, इन कोठेनि का अक जोडै पैतीस होंइ, तातै इन कोठेनि विषै जे-जे इद्रियादि लिखे, ते ते पैतीसवा आलाप विषै जानने । स्नेह, निद्रा को पहिले कहि लीजिये ।
बहुरि दूसरा उदाहरण नष्ट का ही कहिए है । इकसठवा आलाप कैसा है ? असे पूछे, इहा भी इद्रिय कषाय विकथानि के जिन-जिन कोठानि के अक वा शून्य जोडे, सो इकसठि सख्या होइ, तिन तिन कोठानि विषे प्राप्त प्रमाद पूर्ववत् कहे । स्नेहवान्-निद्रालु-स्पर्शन इद्रिय के वशीभूत-क्रोधी अवनिपालकथालापी असा पूछया हूवा इकसठिवां आलाप हो है ।
भावार्थ - इद्रियपक्ति का प्रथम कोठा का एका अर कषायपक्ति का प्रथम कोठा की बिदी, विकथा का चौथा कोठा का साठि जोडे, इकसठि होइ । सो इनि कोठानि विषै जे-जे इंद्रियादि लिखे है, ते इकसठवा आलाप विषे जानने । जैसे ही अन्य आलाप का प्रश्न भए भी विधान करना ।
बहुरि उद्दिष्ट का उदाहरण कहिए है - स्नेहवान्- निद्रालु-स्पर्शन इद्रिय के वशीभूत-मानी - राष्ट्रकथालापी सा आलाप केथवा है ?
असा प्रश्न होते स्नेह, निद्रा बिना जे-जे इद्रियादिक इस आलाप विषै कहे, ते तीनो पक्तिनि विषै जिस-जिस कोठे विषै ये लिखे होइ, सो ये इद्रियपक्ति का प्रथम कोठा, कषायपक्ति का दूसरा कोठा, विकथापक्ति का तीसरा कोठानि विषै ये आलाप लिखे है । सो इन कोठानि के एक, पांच, चालीस ये अंक मिलाइ, छियालीस होइ है, सो पूछा हुआ आलाप छ्यालीसवा है ।
बहुरि दूसरा उदाहरण कहिए है - स्नेहवान निद्रालु चक्षु इदिय के वशीभूत लोभी-भक्तकथालापी ऐसा आलाप केथवां है ?
तहा इस आलाप विषै कहे इंद्रियादिकनि के कोठे, तिनि विषै लिखे हुवे च्यारि, पंद्रह, बीस ये अक जोडे गुणतालीस होइ, सो पूछया आलाप गुरणतालीसवा है । ऐसे ही अन्य आलाप पूछे भी विधान करना ।
आगे द्वितीय प्रस्तार अपेक्षा नष्ट, उद्दिष्ट का गूढ यंत्र कहै है -