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अठारह पाप
न होकर अधोमुखी हो, जीवन को हल्का न बनाकर दुर्भावनायो से भारी बनानेवाली हो, वह सब पाप है । पाप हमारी आत्मा को दूपित करता है, गदा बनाता है, अशान्त करता है, अत त्याज्य है। ___पापो का सामायिक मे त्याग करने का यह मतलब नही कि सामायिक मे तो पाप करने नही, परन्तु सामायिक के बाद खुले हृदय से पाप करने लग जायँ । सामायिक के बाद भी पापो से बचने का पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए । साधना का अर्थ क्षणिक नहीं है। वह तो जीवन के हर क्षेत्र मे, हर काल मे सतत चालू रहनी चाहिए। जीवन के प्रति जितना अधिक जागरण, उतनी ही जीवन की पवित्रता । किसी भी दशा मे विवेक का पथ न
भूलो ।