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सामायिक-प्रवचन
पाँच प्रणवत
(१) स्थूल प्राणातिपात विरमण-विना किसी अपराध के व्यर्थ ही जीवो को मारने के विचार से, प्राण-नाश करने के सकल्प से मारने का त्याग । मारने में किसी प्राणी का नाश या कष्ट देना भी सम्मिलित है। इतना ही नहीं, अपने आश्रित पशुओ तथा मनुष्यो को भूखा-प्यासा रखना, उनसे उनकी अपनी शक्ति से अधिक अनुचित श्रम लेना, किसी के प्रति दुर्भावना, डाह आदि रखना भी हिंसा ही है । अपराध करने वालो की दण्डस्वरूप हिंसा का और पृथ्वी, जल आदि स्थावर-जीवो की सूक्ष्म हिंसा का त्याग गृहस्थ जीवन मे अशक्य है।
(२) स्थूल मृषावाद विरमण-सामाजिक दृष्टि से निन्दनीय एव दूसरे जीवो को किसी भी प्रकार के कष्ट पहुँचाने वाले झूठ का त्याग । झूठी गवाही, भूठी दस्तावेज, किसी के गुप्त मर्म का प्रकाशन, झूठी सलाह, फूट डलवाना एव वर कन्या-सम्बन्धी और भूमिसम्बन्धी मिथ्या भाषण आदि गृहस्थ के लिए अत्यधिक निषिद्ध माना गया है।
(३) स्थूल अदत्तादान विरमण-मोटी चोरी का त्याग । चोरी करने के सकल्प से किसी की विना आज्ञा चीज उठा लेना, चोरी है। इसमे किसी के घर मे सैध लगाना, दूसरी ताली लगाकर ताला खोल लेना, धरोहर मार लेना, चोर की चुराई हुई चीजे ले लेना, राष्ट्र द्वारा लगाई हुई चुगी तथा कर आदि न देना, नाप-तोल मे कम अधिक करना, असली वस्तु के स्थान पर नकली वस्तु दे देना आदि सम्मिलित है।
(४) स्यूल मैथुन विरमरण-अपनी विवाहिता स्त्री को छोडकर अन्य किसी भी स्त्री से अनुचित सम्बन्ध न करना, मैथुन त्याग है। ग्त्री के लिए भी अपने विवाहित पति को छोडकर अन्य पुरुषो से अनुचित सम्बन्ध के त्याग करने का विधान है। अपनी स्त्री या अपने पति में भी अनियमित ससर्ग रखना, काम-भोग की तीव्र अभिलाषा रखना, अनुचित कामोद्दीपक शृङ्गार करना आदि भी गृहस्थ ब्रह्मचारी के लिए दूपण माने गये है।