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११
समाप्ति सत्र
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[पालोचना]
एयरस नवमस्स सामाइयवयस्स, पच अइयारा जाणियन्वा, न समायरियन्वा । तजहामण-दुप्पणिहारणे, वय-दुप्पणिहारो, काय-दुप्पणिहारणे, सामाइयस्स सइ अकरणया, सामाइयस्स प्रणवट्ठियस्स करणया, तस्स मिच्छा मि दुक्कड ।
(२) सामाइय सम्म काएण, न फासियं, न पालियं, न तीरिय, न किट्टिय, न सोहिय, न आराहिय, आणाए अणुपालिय न भवइ, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।