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गुरुवन्दन-सूत्र
तिक्खुत्तो आयाहिरण पयाहिरणं करेमिः वंदामि, नमसामिः सक्कारेमिः सम्मारणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि मत्थएण वंदामि ।
शब्दार्थ
तिक्खुत्तो-तीन बार प्रायाहिण=दाहिनी ओर से पयाहिण=प्रदक्षिणा फरेमि करता हूँ वदामि स्तुति करता हूँ नमसामि नमस्कार करता हूं
सक्कारेमि=सत्कार करता हूँ सम्मारणेमिसम्मान करता हूँ कल्लारण = कल्याण-रूप को मगल-मगल-रूप को देवय-देवता-स्वरूप को चेइय=ज्ञान-स्वरूप को