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सामायिक-सूत्र
समिति और गुप्ति, सयम जीवन के प्रधान तत्त्व हैं । अतएव जैनसिद्धान्तो मे इन को आठ प्रवचन माता कहा है। प्रवचन अर्थात् शास्त्र, उसकी माता । पाठ प्रवचन माता का समावेश सवर-तत्त्व मे होता है। कारण, इन से कर्मों का सवरण होता है, नये कर्मों के बन्धन का प्रभाव होता है।
समिति और गुप्ति का अन्तर
समिति और गुप्ति मे क्या अन्तर है ? उक्त-प्रश्न का समाधान यह है कि यथानिश्चित काल तक मन, वचन तथा शरीर इन तीनो योगो का निरोध करना गुप्ति है। और गुप्ति मे बहुत काल तकस्थिर रह सकने में असमर्थ साधक की कल्याण-रूप क्रियाप्रोमे प्रवृत्ति समिति है । भाव यह है कि गुप्ति मे असत् क्रिया का निषेध मुख्य है, समिति मे सक्रिया का प्रवर्तन मुख्य है ।