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सामायिक सूत्र
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प्रतीक ९० के ग्रक मे ६ के आगे का ० शून्य है । हाँ तो, नमस्कार महामन्त्र की शुद्ध हृदय से साधना करने वाला साधक भी ε के पहाडे के समान विकसित होता हुआ अन्त मे ६० के रूप मे अर्थात् सिद्ध रूप मे पहुँच जाता है, जहाँ प्रात्मा मे मात्र अपना निजी शुद्ध रूप ही शेष रह जाता है । कर्मों का अशुद्ध अश सदा काल के लिए पूर्णतया नष्ट हो जाता है ।
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