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सामायिक-प्रवचन
हॉ, तो शुभ सकल्पो को लेकर सामायिक का ग्रहण किया हुआ नियम अन्तर्मुहूर्त तक ही समान गति से चालू रह सकता है । पश्चात् कुछ-न-कुछ परिवर्तन, ऊँचा या नीचा आ ही जाता है। अत विचारो की एकधारा की दृष्टि से सामायिक के लिए मुहूर्त कहते हैं और मुहूर्त मे से एक समय एव एक क्षण भी कम हो, तो अन्तर्मुहूर्त माना जाता है।