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सामायिक-प्रवचन
"प्राची हि देवाना दिक योदीची दिक् सा मनुष्याणाम्',
-शतपथ, दिशा वर्णन किं बहुना, विद्वानो को इस सम्बन्ध में और भी अधिक ऊहापोह करने की आवश्यकता है। मैंने तो यहाँ केवल दिशासूचन के लिए ही ये कुछ पक्तियाँ लिख छोडी है। ,, ,*
वकच्चितदयेदर्थान् सिंहवच्च पराक्रमेत् ।
-मनुस्मृति ७।१०५ अपने लक्ष्य की प्राप्ति करने हेतु साधक को वगुले की तरह एकाग्र होकर विचार करना चाहिए और सिंह की भाति साहस पूर्वक पराक्रम करना चाहिए।