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________________ सामायिक कब करनी चाहिए ? ८७ उत्कल (उडीसा) मे उदयगिरि पर और मगध मे वैभारगिरि एव विपुलाचल पर ध्यानसाधना मे रहा है, अत वह तत्कालीन प्रभात और सायकाल के सुन्दर एव सुमनोहर दृश्य अब भी भूला नही । जब कभी स्मृति आती है, हृदय आनन्द से गुदगुदाने लगता है । उस समय ध्यान मे मानसिक एकाग्रता वस्तुत बहुत अद्भुत होती थी। हाँ, तो प्रभात का समय तो ध्यान, चिन्तन आदि के लिए बहुत ही सुन्दर माना गया है । सुनहरा प्रभात, एकान्त, शान्ति और प्रसन्नता आदि की दृष्टि से वस्तुत प्रकृति का श्रेष्ठ रूप है। इस समय हिंसा और क्रूरता नही होती, दूसरे मनुष्यो के साथ सम्पर्क न होने के कारण असत्य एव कटु भाषण का भी अवसर नही आता, चोर चोरी से निवृत्त हो जाते है, कामी पुरुष कामवासना से निवृत्ति पा लेते है। अस्तु, हिंसा, असत्य, स्तेय और अब्रह्मचर्य आदि के कुरुचि-पूर्ण दृश्यो के न रहने से आस-पास का वायु-मण्डल अशुद्ध विचारो से स्वय ही शुद्ध-प्रदूषित रहता है। इस प्रकार सामायिक की पवित्र क्रिया के लिए वह समय बडा ही पुनीत है। यदि प्रभात काल मे न हो सके, तो सायकाल का समय भी दूसरे समयो की अपेक्षा शान्त माना गया है । * * * ब्राह्म मुहूर्ते बुध्येत धर्माथौचानुचिंतयेत् । -मनु० ४।६२ प्रात काल ब्राह्ममुहूर्त मे जागकर प्रथम धर्म का और तदनन्तर अर्थ का चितन करना चाहिये।
SR No.010073
Book TitleSamayik Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1969
Total Pages343
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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