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भाषित शासन सैंकड़ों सुखोंके वृद्धिको प्राप्त होवे | यह परमात्मप्रकाश ग्रन्थका व्याख्यान प्रभाकरभट्टके सम्बोधन के लिये श्रीयोगीन्द्रदेवने किया, उसपर श्रीब्रह्मदेवने संस्कृतटीका की । श्रीयोगीन्द्रदेव प्रभाकरभट्टके समझानेके लिये तीनसी पैंतालीस दोहे रचे, उसपर श्रीब्रह्मदेवने संस्कृतटीका पांच हजार चार (५००४) प्रमाण की । और उसपर दौलतरामने भाषावचनिका के श्लोक अड़सठिसौ नब्बे (६८६० ) संख्याप्रमाण बनाये |
परमात्मप्रकाश
इस प्रकार श्रीयोगीन्द्राचार्यविरचित परमात्मप्रकाशकी पं० दौलतरामकृत भाषाटीका समाप्त हुई ।
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