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॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥
श्री समन्तभद्राचार्य विरचित
वृहत् स्वयंभू स्तोत्र
[ भाषा टीका सहित ]
भाषा टीकाकार
स्व० श्रीमान् ब्र० शीतलप्रसादजी वर्णी
Maa aasaha
sasa chaatsala
ग्रंथ महा दुर्लभ भया, प्रति मिलती है नाहि । तातें भाषा शुद्धकर, करू प्रकाशित ताहि ॥
प्रेरक
चारित्र - विभूषण श्री १०८ मुनि श्री विवेकसागरजी महाराज
कुकनवाली चातुर्मास सन् १९७६ वीर नि० सं० २५०६