________________ 649 श्रो पावती पुरवाल जैन डायरेक्टरी ____ गुण रखना: (3) भ्रात न्योतने जावे तो 4) रुपया नगद 24 पान गुण वताशे ले जावे और वह कन्या के मामा के यहाँ दे आवे / जिससे वह भी यथाशक्ति तैयारी करेगा। (4) निमन्त्रण अपने सम्वन्धियों को यथाशक्ति भेजवावे। (5) लिखित समय तेल, कंकण बंधवाना। उस समय एक कलश जल भर कर स्थापित करवावे / मॅड़वा गड़वावे और मॅड़वे में 5 सुपारी, 5 हल्दी की गॉठे और 5 पैसा भी डालना चाहिये। तेल चढवावे, दो पटुली बनवाके रखे, घण्टी बैठावे। इस क्रिया को खियाँ जानती है। काजल लगवावे, आरती करवावे। सम्पूर्ण अङ्ग में तेल स्वयं मर्दन करना चाहिये। (6) वर-आगमन व मण्डप लगन / चार साड़ी, ब्लाउज, एक थान, एक नारियल और उसके साथ मढे-मिष्टान्न व नमकीन एक वरोलिया, जौ एक लोटा में चावल II) या 1) रुपया डालकर पीले कपड़े से बाँध दे। मट्ठों पर पीले चावल, घी और दो पैसा रख दे और जितने रुपये देने हों दे। रुपया 1) रुपये से 55) रुपये तक ही दे सकता है जो लगन संकेत से जाने। फिर भ्रात के लाए हुए वन व जेवर आदि लेवे। उसके अनुसार जिसको जो वस्त्रादि दे। वहिन भाई का टीका गोला और मिष्टान्न देकर करे। उस समय भाई बहिन को एक वस्त्र अवश्य दे और चाहे कुछ दे या न दे। दरवाजा: (7) जेवर अपनी सामर्थ्य के अनुसार दे / एक जंजीर, अंगूठी और नगद रुपया 41) ही दे। चर को पहिनने के लिये एक पट्टी व रूमाल अवश्य हो। जो ज्यादा से ज्यादा है, कम से कम 1) तक दे सकता है और उस समय एक अंगूठी भी देता है। वर्तनों में कलशा था कोठी भी दे सकता है जो चार ही होने चाहिये। वैसे पूरा सूट दे सकता है। समय के अनुसार जैसी सामर्थ्य हो दे। आवश्यकतानुसार दरवाजे पर आगन्तुकों के लिए पेय पदार्थ प्रस्तुत करे। सम्प्रदान: (8) जल, दूध, चाय आदि पेय पदार्थ देवे। मण्डप में चाँदनी आदि लगवा दे। एक गृहस्थाचार्य वरपक्ष के गृहस्थाचार्य के समक्ष दोनों पक्ष के बुजुर्ग साखोच्चार के लिए कहे और उसके भनुसार दोनों पक्ष के बुजुर्ग एक स्थान पर बैठकर साथ-साथ नमस्कार मन्त्र पढ़ें। सात सुपारी, सात हल्दी की गाँठे लेकर बैठे। मन्त्र पूर्ण होने पर उसे माली को दे देवे। सात जोग यहाँ इसलिए हैं कि हमारी भगवान् सात साख वक इन्नत बनाये रखे। तब कन्या को जेवर पहनवाये।