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मन्दराचल, ज्ञान-विज्ञान के महामेरु, श्रमण-सस्कृति के मेरुदण्ड, युगप्रधान आचार्य कुन्दकुन्द के प्रति द्विसहस्राब्दि-समारोह के क्रम मे उनके चरणो मे अपने श्रद्धा-सुमन भी अर्पित करने का प्रयल किया है।
प्रस्तुत रचना के लेखन-प्रसग मे हम लोगो ने जिन ख्यातिप्राप्त विद्वानो द्वारा सम्पादित कुन्दकुन्दाचार्य के विविधि ग्रन्थो की सहायता ली है, उनके प्रति हम सादर आभार व्यक्त करते हैं। ____ यदि हमारे इस लघु प्रयत्ल से जन सामान्य को कुछ भी लाभ हुआ, तो वही हमारे श्रम का बहुमूल्य पुरस्कार होगा।
-लेखक द्वयः
महाजन टोली न02 आरा (बिहार) 18-7-89