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काव्यालङ्कारसूत्रवृत्ती
'अवन्ति मुन्दरी' का मत ५२ / अश्लीलत्व के तीन प्रकार के 'साहित्य मीमासा' की कारिकाएँ ५३ | अपवाद । काव्य के गद्य पद्य दो भेट ५५ / अ. गुप्तार्थ गद्य काव्य के तीन भेद
व. ललितार्थ पद्य काव्य के भेद
५७ / स. सवृत प्रवन्व-काव्य और मुक्तक
अग्लीलत्व के तीन भेद प्रवन्ध-काव्यो मे रूपक का महत्व ६० | ५. क्लिप्टार्थ भामहकृत; काव्यो के 'सर्गवन्ध', अश्लीलत्व तथा क्लिप्टत्व का 'अभिनयार्थ' और 'आख्यायिका रूप ।
वाक्यटोपत्व तीन भेद काव्य भेदों के विपय में आनन्द वन का मत
द्वितीय अध्याय [वाक्य वाक्यार्थ दोप विभाग
८८-१०२] 'दोप-दर्शन' नामक द्वितीय
तीन प्रकार के वाक्य दोप ८८ अधिकरण
१. भिन्न वृत्त [पृष्ठ ६७-११२ तक] २. यति भ्रप्ट प्रथम अध्याय
धात भाग तथा नाम भाग के
मंद में यति भ्रष्टत्व के उदाहरण ८९ पदपदार्थ-दोष विभाग ६६-८७ ] भिन्न वत्त तथा यति भ्रष्ट का गत प्रथमाध्याय के साथ सम्बन्ध ६७ परस्पर भेद टोप का सामान्य लक्षण
| ३. विसन्धि पाँच प्रकार के पद दोप
विसन्धि दोप के तीन भेद १ असा पटत्व
७१. अ. सन्धि विश्लेप २. कप्टपद
७२ व अश्लील सन्वि ३. ग्राम्यपट
७२ | स कप्ट सन्धि ४. अप्रतीत पद
७३ | सात प्रकार के वाक्यार्य दोप ९८ ५ अनर्थक पद
७४ १ व्यर्थ पाँच प्रकार के पदार्थ दोप २ एकार्थ १. अन्याय
एकार्य या पुनरुक्ति की अदोपता १०० २. नेयार्य .
वना आदि पदो की अदोपता १००' ३ गूढार्य
कर्णावतमादि पदो की अदोपता १०१ ८८ / मुक्ताहार आदि पदो की अदोपता १०२
, ४. अग्लील