________________ जैनतत्त्वादश ताबे आधीन तितना उतना तेला पा० तीन व्रत पंचौला पाच व्रत पहुंक भुने हुए चावल पग पैर दर रोज़ गु० प्रतिदिन पडवा प्रतिपदा दाडिम अनार पराहुणा अतिथि, महेमान दुरन्त दुःख से जिस का अंत होवे परिठवे पा० त्यागे दुरुत्तार कठिनता से जो तरा जावे | परिवरे हुए घिरे हुए दीसे दीखे पावडी खडाऊ देहरा, देहरासर मन्दिर पासों पास से पुड़ तह पुद्गलानंदीपना विषयानंदी होना न्याति ज्ञाति पुरीपोत्सर्ग मल का त्याग निदान कारण पौरुषी, पोरसी प्रहर का व्रत निमित्तिया निमित्त का जानने प्रत्यनीक विरोधी वाला, ज्योतिषी प्रतिक्रमण, पडिकमण रागादि निर्यामक खवैया, पार लघानेवाले के वश हो कर शुभ योग से गिर निलाड मस्तक कर अशुभ योग को प्राप्त करने के निववत अपेक्षा बाद फिर से शुभ योग को प्राप्त नैषेधिकीकरण पा० पूजा से पूर्व | करना, यह प्रतिक्रमण है। इसके गृहकार्य आदि का त्यागना | लिये की जानेवाली किया विशेष