________________ द्वादश परिच्छेद 543 के उपदेश से कूका नामक पंथ, और कोईल में मौलवी अहमदगाह का नवीन फिरका, तथा स्वामी दयानन्द . सरस्वती का निकाला आर्यसमाज का पंथ, इत्यादि अनेक मत पुराने मतों को छोड़ के निकाले हैं। क्योंकि इनों ने अपनी बुद्धि समान प्राचीनों के करे पुस्तक तथा वेदार्थों को नहीं समा / जेकर इसी तरे नवीन नवीन मत निकलते में तो कुछ एक दिन में ब्राह्मणादि मताधिकारियों की गेजी मारी जायगी, और धर्म अरु नियम किसी किसी का कायम रहेगा। नि श्री नपागच्छीय मुनि श्रीबुद्धिविजय शिष्य मुनि आनंदविजय-आत्मागगविरचिते जनतत्त्वाद” द्वादशः परिच्छेदः सपूर्ण.. L