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दशम परिच्छेद सामग्री के हुये भी पगे चलना, छटा सम्यक्त्वधारी पना। तथा यात्रा के वास्ते राजा से आज्ञा लेवे, विशिष्ट मंदिरों को सजावे, विनय बहुमान सहित स्वजन और साधर्मियों को वुलावे । तथा गुरु को साथ ले जाने के वास्ते निमंत्रणा करे, अमारी ढंढेरा फिरावे, मंदिर में महापूजा महोत्सव करावे । खरची रहितों को खरची देवे, वाहन विना को वाहन देवे । निराधारों को यथायोग्य आधार देवे । सार्थवाह की तरे डौंडी फिरा के लोगों को उत्साहवंत करे, तथा आडम्बर सहित बड़ा चरु, घड़ा, थाल, डेरा, तंबू, कड़ाहियां साथ लेवे, चलते कूपादिक को सज्ज करे । तथा गाडा, सेजवाला रथ, पर्यक, पालकी, ऊंट, घोड़ा प्रमुख साथ लेवे । तथा श्रीसंघ की रक्षा के वास्ते बड़े २ योद्धाओं को नौकर रक्खे । योद्धाओं को कवच, अंगकादि उपस्कर देवे । तथा गीत, नाटक, वाजिंत्रादि सामग्री मेलवे। तथा अच्छे मुहूर्त में शुम शकुन में प्रस्थान करे । भोजनादि से श्रीसंघ का सत्कार करके संघपति तिलक देवे। आगे पीछे रखवाला रक्खे। संघ के चलने उतरने का संकेत करे। तथा संघवालों की गाड़ी आदिक टूट जावे, तो समरा देवे। अपनी शक्ति के अनुसार सर्व संघ को सहाय देवे। तथा गाम, नगर में जहां जिनमन्दिर आवे, तहां महावन देवे। चैत्यपरिपाटी आदि बड़ा महोत्सव करे । जीर्णचैत्य का उद्धार करे। तथा जब तीर्थो को देखे, तब सुवर्ण, रल, मोती आदिक से वपिन करे। लापसी,