________________ 24 जैनतत्त्वादर्श (1) प्राचार्य श्री विजयानन्द जी सूरि ने तत्त्व निर्णयप्रासाद में 'भापार्य' शब्द की व्याख्या करते हुए निशीथ चूर्णिका निर्देश करके कहा है, कि जो अठारह देश की एकत्र मिली हुई भाषा बोली जाती है, सो अर्धमागधी है। (2) निशीथ चूर्णि में जिनदास महत्तर ने अर्धमागध शब्द की उक्त व्याख्या के अतिरिक्त मगध देश को आधी भाषा यह दूसरी व्याख्या भी की है। (3) तथा नवांगी वृत्तिकार श्री अभयदेव सूरि ने समवायांग तथा श्रीपपातिक सूत्र की वृत्ति में लिखा है कि जिस में मागधी भाषा के नियमों को तो बहुत न्यूनता हो, और प्राकृत लक्षणों की बहुलता हो, उसे अर्धमागधी कहते हैं। ___ उपर्युक्त कथन का सारांश यह निकला कि जिलमें प्राकृत भाषा के नियमों की बहुलता और मागधी भाषा के ~~r.... ... .mmmmon - ... . ... . ... . *देखिये पृ०६३५। + मगहद्धविसयभासानिवद्धं अद्धमागहं / प्राकृतादीनां पण्णां भाषाविशेषाणा मध्ये या मागधी नाम भाषा "रसलंशी मागध्याम्" इत्यादि लक्षणवती सा असमाश्रितस्वकीयसमग्र लक्षणाऽर्धमागधीत्युच्यते / [ समवा० सू०, आग० स०, पृ०६२] "सोलशी मागध्याम्" इत्यादि यत् मागधभाषालक्षणं तेन अपरिपूर्णा प्राकृतभाषालक्षणबहुला अर्धमागधी / [औप० स०, आग० म०, पृ० 78 ]