________________ 22 जैनतत्त्वादर्श हैं, मगध देश से उत्पन्न होने वाली भाषा को मागधो कहते हैं, पिशाच देश से निकलने वाली भाषा पैशाची और चूलिका है, एवं आभीर आदि की भाषा अपभ्रंश कहलाती है / सामान्य नाटकों में जिस प्राकृत भाषा का उपयोग हुआ है, वह प्रायः महाराष्ट्रो, शौरसेनी और मागधी है / और जैन साहित्य में प्रयुक्त होने वाली भाषा अर्धमागधी, जैनमहाराष्ट्री और जैन शौरसेनी है। जैनागमों के लेखानुसार१. *भगवान अर्धमागधी द्वारा उपदेश देते हैं। 2. भिगवान महावीर स्वामी ने भंभसार के पुत्र कोणिक को अर्धमागधी भाषा में उपदेश दिया। 3. : देवता अर्धमागधी भाषा में बोलते हैं और बोल चाल की भाषाओं में अर्धमागधी ही विशिष्ट भाषा है। . .. .. .... ........ ... ....... ....... * भगवं च णं अदमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ / समवा० सू०, आग० स०, पृ० 60] तए णं समणे भगवं महावीरे कूणिअस्स भभसारपुत्तस्स अद्धमागहीए भासाए भासति / [ औप० मू० आग० स० पृ० 77 ] : गोयमा ! देवाणं अद्धमागहीए भासाए भासंति, सा वि य णं अदमागही भासा भासिज्जमाणि विसिस्सइ / [भग० सु०, आग० स० पृ० 231 ]