________________ परिशिष्ट 21 परिशिष्ट नं० १-क [पृ० 7] अर्धमागधी भाषा लौकिक भापा दो प्रकार की है-*- संस्कृत और 2. प्राकृत / इनमें पहली संस्कृत भाषा वैदिक और लौकिक भेदसे दो प्रकार की है / *और दूसरी प्राकृत-प्रकृति संस्कृत, उस से उत्पन्न होने वाली अर्थात् उसकी विकृति को प्राकृत कहते है / वह प्राकृत, शौरसेनी, मागधी, पैशाची, चूलिका और अपभ्रंश, इन भेदों से छः प्रकार की है। ___महाराष्ट्र देश से उत्पन्न होने वाली भाषा को प्राकृत कहते हैं, शूरसेन देश से उत्पन्न होने वाली भाषा को शौरसेनी कहते * प्रकृतेः संस्कृतायास्तु विकृतिः प्राकृती मता // 25 // पडिधा सा प्राकृती च शौरसेनी च मागवी। पैशाची चूलिकापैशाच्यपभ्रंश इति क्रमात् // 26 // तत्र तु प्राकृतं नाम महाराष्ट्रोद्भवं विदुः / शूरसेनोद्भवा भाषा शौरसेनीति गोयते // 27 // मगधोत्पन्नभापा ता मागधी सप्रचक्षते / पिशाचदेशनियतं पैशाचीद्वितयं भवेत् // 28 // अपभ्रशंस्तु भाषा स्यादाभीरादिगिरा चयः // 31 // [ षड्भाषाचन्द्रिका पृ० 4-5]