SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 616
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ' शब्दकोष पटल परदा | पूंज लेना पूंछ लेना, साफ करना पड़ जाता है गिर जाता है पूर प्रवाह परचक्र परराष्ट्र पूरता है भरता है पर्यटन भ्रमण पूरे पानी के सूक्ष्म जन्तु परामख विमुख प्रकरणसम पा० सत्प्रतिपक्ष परिणति भाव, परिणाम हेत्वाभास परिवेष्टित घिरा हआ प्रणिधान भक्ति, ध्यान परिहार त्याग प्रतिपत्ति सिद्धि परेट दूसरे का माना हुआ प्रतिपन्न सिद्धि पाकज पा० अग्नि के संयोग से / प्रातपत्ता विराधा होने वाला प्रतिवोध ज्ञान प्रभृति आदि, वगैरह पादारविद चरणकमल पावना प्राप्त करना प्रमाणानभिज्ञ प्रमाण को न जानने वाला . पासे ओर, तरफ पिगल पीला प्रमुख आदि, वगैरह पिछान पहचान प्ररूपणा करनी कथन करना पीठ चौकी, पट्टा प्ररूपे चलाये, कहे गये पुरीप मल प्रवावे है प्रवृत्त करता है पुरोवर्ती सामने खडा हुआ / प्रश्रवण मूत्र
SR No.010064
Book TitleJain Tattvadarsha Purvardha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages495
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy