________________ तिन उन तिस उस जैनतत्त्वादर्श |ते से तैसा वैसा दृष्टेष्टवाधारहित पा. प्रत्यक्ष, दिग्बंधन दिशा का वान्धना अनुमानादि प्रमाण से जो वाधित दिक्षा देखने की इच्छा न हो दीने दिये द्रवता तरलता, पिघलना दुरंत बुरे परिणाम वाला दावानल वन की अग्नि देनेहारी देने वाली दाहक जलाने वाला | देशना पा० धर्मोपदेश धंदा काम धरती पृथ्वी धरनारे धारण करने वाले |धर्मज्ञ धर्म को जानने वाला धातुरक्त गेरुआ, लाल धुखने जलने, प्रदीप्त होने नवे नये | निरी केवल न्यायोपपन्न न्याय से प्राप्त हआ | निवाले प्याले खान पान न्यारा जुदा, अलग निवि पा. एक प्रकार का तप नियन्ता शासन करने वाला, | निष्प्रतिम प्रतिभा-बुद्धि रहित निर्मति बुद्धि रहित निस्सरणी सोपान, सीढी निरासार्थ खण्डन करने के लिये | नीहार शौचादि क्रिया