________________ जैनतत्त्वादर्श प्रागभाव पा. वह अभाव जो | प्रसक्ति प्रसङ्ग अनादि और सान्त है प्रासाद मन्दिर, महल प्रावृद् वर्षा ऋतु | प्रेक्षावान् बुद्धिमान, विचारशील फ फलक चौकी, पट्टा / फुकुक अग्नि तण की अग्नि वंदीखाना कैदखाना वधुश्रा बन्दी, कैदी वध्यमान लगी हुई वनाय के वना कर बहुते वहत से बहुश्रुत शास्त्रों का जानकार वाज़ोवत खेल की तरह वातां पं० बातें वावरी पगली वाहिरले पं० वाहिर के चोभत्स बुरा बेटा, बेटी लडका, लडको चेरी पं० वार वोदी जीर्ण, पुरानी वोधि ज्ञान भुवनव्यापक संसार में फैलने वाला भया हुआ भव संसार, जन्म भात भोजन भान प्रतीति भासन प्रकाग, प्रतीत भुवन मकान भू पृथ्वी | भूण्डा चुरा