________________ जैनतत्त्वादर्श -जिस काल में पदार्थों की शक्ति, | उपकरण पा० साधन परिमाण आदि बढ़ते रहते है उपन्यास कथन उदकवत् पानी की तरह उपपत्ति सिद्धि उद्भट प्रबल, बेजोड उपसर्ग पा० कष्ट उद्भावन प्रकाशन उपाश्रय पा० विहार, धर्म करने उद्भिज्ज भूमि फोडकर निकलने का स्थान, वाले उष्मा गर्मी ऊर्ध्व लोकांत ऊपर के लोकका अंत / ऊपर खारी भूमि, बंजर ए पं. यह एकठे इकडे एक देश एक भाग | एकला गु० अकेला एह पं० यह | एतावता इस लिये, अर्थात् प्रोगणोश गु० उन्नीस (18) / ओंधी उलटी भौगुण पं. अवगुण, दोष ।ौदारिक पा० स्थूल शरीर