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________________ शब्दकोष -::कठिन, प्रान्तीय और पारिभाषिक शब्दों का अर्थ अकिचित्कर कुछ न करने वाला | अनागत भविष्य अग्रगामि प्रत्यक्ष, आगे नज़र | अनिर्वाच्य अकथनीय, न - कह आने वाला सकने योग्य. अचेतन जड अनुपहत अक्षत, सम्पूर्ण अजा वकरी अनुविद्धं परस्पर मिले हुए अतिक्रान्त अगोचर, परे अनुष्ठान आचरण / अतिप्रसङ्ग पा० अतिव्याप्ति-अनुषंग प्रसङ्ग * अलक्ष्य में भी पाया जाना / / अनुसन्धान सम्बन्ध अदृष्ट जो दिखाई न दे धर्म, | अन्तर्मुहूर्त लग भग दो घडी अधर्म अन्तरिक्ष आकाश अध्यवसाय परिणाम अन्तरे दूरी पर अनवस्था पा० कार्य कारण की | परम्परा का विराम न होना / अपराह्न दिन का तीसरा पहर अनहोई विचित्र, असम्भव अपर्यवसित अनन्त अनहोये न पाये जाने वाले अपवर्ग मोक्ष
SR No.010064
Book TitleJain Tattvadarsha Purvardha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages495
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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