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________________ [ भाग ६ यदि कोई मनुष्य इस विज्ञप्तिका उल्लंघन करके, रहन रक्खेगा या रहन स्वीकार करेगा, तो वे राजा जो इस राष्ट्रपर राज्य करेंगे इस देवके स्वत्वोंको पूर्वरीत्यनुसार सुरक्षित रक्खेंगे । जो कोई राजा इस कर्तव्यसे अनभिज्ञ रहकर उपेक्षा धारण करेगा उसे वाराणसीमे एक हज़ार गौत्र और ब्राह्मणोंके बध करनेका पाप लगेगा । इस प्रकार धर्मशासन लिखा गया और दिया गया । मंगलमहाश्री | श्री ॥ श्री ॥ २४४. भास्कर लेख नं० ८४ 1, उक्त चामराज श्री शालिवाहन शक वर्ष १५५६, भाव संवत्सरमें, आषाढ़ सुदी १३ को, शनिवारके दिन ब्रह्मयोगमें; श्रीमन्महाराजाधिराज, राजपरमेश्वर, मैसूरपट्टनाधीश्वर, षट्दर्शनधर्मस्थापनाचार्य, चामराज वोडेयर अय्य, —बेलगोलके मन्दिरकी ज़मीनें बहुत दिनोंसे रहन थीं,वोडेयर अय्यने होसबोललु केम्पप्पके पुत्र चन्नरण बेल्गुल पायि सेट्टिके पुत्रों चिकण और जिगपायि सेट्टि नामके रहनदारों तथा दूसरे रहनदारोंको बुलाकर कहा कि "मैं तुम्हारे रहनका रुपया अदा कर दूंगा।” इस पर चन्नरण, चिकरण, जिगपायि-सेट्टि मुद्दण्ण, अज्जराणन पदुमप्पराणका पुत्र 'पण्डे, पदुमरसय्य, दोड्डुण्ण, पंचवारणकविका पुत्र बोम्मप्प, बोम्मरणकवि, विजयराण, गुम्मण्ण, चारुकीर्ति, नागप्प, बेडदय्य, बोम्मि सेट्टि, होसहक्रिय रायण्ण, परियरण गौड, वैर सेट्टि, वैरण, वीरय्य, नामके इन सब वणिकों और क्षेत्रपतियोंने, अपने पिताओं और माताओंके कल्याणार्थ गोम्मटस्वामीकी मौजूदगीमे और अपने गुरु चारुकीर्ति पंडितदेवके सम्मुख, जलधोरा डालते हुए बंधकप्राहियोंके (१) मंदिरनिरीक्षकोंको रहननामे (mortgage bonds) दे दिये और यह शिलाशासन रहनोंके छूटनेका लिख दिया। ( शाप – काशी रामेश्वरमे एक हज़ार गौओं और ब्राह्मणोंके मारनेका पाप) । श्री श्री ।
SR No.010062
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain, Others
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1940
Total Pages143
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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