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[१८] २– पाठशाला
रामलाल ठीक समय किताब, पट्टी, पेंसिल, दावात, कलम, लेकर पाठशाला को जाता है । रास्ते में और लड़कों को बुलाता जाता है । वह सबसे हिल मिलकर रहता है । कभी लड़ाई नहीं करता है । किसी की चुगली नहीं खाता । उसे कोई चिढ़ाता है तो वह चुप रहता है । तब चिढ़ाने वाले आप ही चिढ़ाना छोड़ देते हैं । अज्ञानी लड़के ही चिढ़ाते हैं । तुम कभी किसी को मत चिढ़ाओ ।
कभी किसी से मत लड़ो। लड़ना बुरी आदत है । किसी पर क्रोध मत करो। कभी रोओ मत । क्रोध से शरीर का लोहू सूखता है । बुद्धि बिगड़ती है और बहुत दुःख उठाने पड़ते हैं । सदाचारी लड़के सदा शांत रहते और उद्योग करते हैं ।
३ -- सच बोलना
जिनदत्त सदा सच ही बोलता था । एक दिन उसके हाथ से गुरुजी की पोथी फट गई । उसने यह बात नहीं छुपाई | वह तुरंत ही गुरुजी के पास गया। पहले उनके सामने सिर झुकाया, और फिर सच बात कहकर माफ़ी माँगी । गुरुजी ने माफ़ी दे दी और सच बोलने के लिए उसकी बड़ाई की । बालको, सदा सच बोलो ।