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( ७६ ) - (क्रोधादि का नाश करके क्षमादि प्रकट होने की भावना का चिंत्वन करना चाहिये ) __क्षमा विनय ऋजुता' तया, पात्रादिक को दान ।
समता से होता तथा, क्रोधादिक अवसान ॥ .
पाठ ४८—चार गति में जाने के कारण । नरक गति मे जाने के मुख्य चार कारण हैं।
(१) बहुत पाप करना (२) धनादि पर बहुत ममता रखना (३) मनुष्य, पशु आदि को वात दुःख देना (४) मद, शराब, मांस आदि को काम में लाना । तिर्यंच गति में जाने के मुख्य चार कारण ।
(१) कषाय-क्रोध, मान, माया और लोभ बहुत करना। (२) बहुत कपट करना । (३) बहुत झूठ बोलना । (४) __खोटा तोल माप और खोटे हिसाब में लेन देन करना।
मनुष्य गति में जाने के मुख्य चार कारण ।
(१) क्रोध मान माया और लोभ कम करना । (२) स्वभाव से ही विनयी होना । (३) दयालु हृदय होना । (४) ईर्ष्या, द्वेष करके रहित होना ।
१ सरलता । २ अन्त ।