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( ५३ ) आवादी समझता था। उसने अपने राज्य में गौओं के लिए बहुत से गोकुल बना रखे थे जिससे राज्य भर में
ध, दही और घी की नदियाँ सी बहती थीं । आज गौरक्षा के अभाव में इनके बदले गौ के खून और चर्बी की नदियाँ वहाई जा रही है, प्रति दिन लाखों गौएँ कटती हैं । ____ महाराज करकण्ड प्रति दिन गोकुल में जाते और उनके खान पान, रहने के मकान आदि का निरीक्षण करते थे जिससे गौ आदि पशुओं को सर्व प्रकार का सुख रहतां था । एक दिन उन्होंने एक छोटा सा बछड़ा देखा । उसका शरीर बहुत ही सफेद, सुकोमल और सुन्दर था । राजा ने बाले को आज्ञा दी कि इस बछड़े को घास के क स्थान में भी द्ध ही दिया जाय । नित्य दूध ही दिया जाने लगा और इससे वह बछड़ा बड़ा हृष्ट पुष्ट हो गया । उसकी सुन्दरता भी स्वर बनने लगी। समय पाकर वह बदहा वृद्ध वृषभ मी हो गया । अब दिनोंदिन उनकी शोभा और बल घटने लगे। अन्त में वह बिलकुल जीर्ण हो गया जिससे न तो उसमें क्रान्ति रही, न वल । यह देख कर करकण्ड्ड ने विचारा ' अरे जैसी दशा इस मैल की हुई है वैसी ही मेरी होगी। धन्य गौ के पूत ! तू-ने मुझे अच्छा उपदेश दिया । मेरा शरीर भी दिन